शिशु और छोटे बच्चों का आहार

शिशु और छोटे बच्चों का आहार

शिशु और छोटे बच्चों के आहार की परिभाषा

शिशु और छोटे बच्चों का आहार (IYCF) नवजात और दो साल से कम उम्र के बच्चों के उचित आहार के लिए विख्यात अनुशंसा का एक समूह है। IYCF में निम्नलिखित देखभाल अभ्यास शामिल हैं: -

ईस्टतम (IYCF) की अभ्यास

  1. स्तनपान जन्म के तुरंत बाद, अधिमानतः एक घंटे के भीतर प्रारंभिक शुरुआत करना चाहिए।
  2. जीवन के पहले छह महीनों यानी १८o दिन केवल स्तनपान (कोई अन्य खाद्य पदार्थ या तरल पदार्थ, यहां तक कि पानी भी नहीं; लेकिन शिशु को ओ.आर.एस, विटामिन, खनिज और दवाओं के सिरप आवश्यकता होने पर देने की अनुमति है) l
  3. छह महीने की उम्र यानी १८o दिन के बाद पूरक खाद्य पदार्थों ( ठोस या नरम खाद्य पदार्थ) को देना शुरू करना चाहिए।
  4. 2 साल या उससे अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।
  5. स्तनपान जारी रखते हुए 6-23 महीने के बच्चों के लिए उचित पूरक आहारदेना चाहिए। बच्चों को 4 या अधिक भोजन समूहों से भोजन दिया जाना चाहिए।
    • अनाज, दाल,चना,जमीन के अंदर उपजनेवाली सब्जी;
    • दूध उत्पाद;
    • मांस खाद्य पदार्थ (मांस मछली, मुर्गा);
    • अंडे,
    • विटामिन ए समृद्ध फल और सब्जियां
    • अन्य फल और सब्जियां। 6 से 8 महीने के स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए कम से कम दो बार खिलाया जा सकता है; 9 -23 महीने के स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए कम से कम तीन बार खिलाया जा सकता है; 6-23 महीने के गैर-स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए कम से कम चार बार खिलाया जा सकता है।
  6. बीमारी के दौरान और बाद में बच्चों के लिए निरंतर आहार।

पूरक आहार: -

इसका अर्थ है बच्चे के छह महीने की उम्र के बाद स्तन के दूध के साथ ठोस / अर्ध-ठोस भोजन का पूरक। 6 महीने की उम्र के बाद, शिशुओं के पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्तन का दूध पर्याप्त नहीं होता। इस परिवर्तनकाल समय के दौरान बच्चे उचित पोषण तथा स्तनपान सही ढंग से न कराने की चपेट में आ सकते है l यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक छोटे बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है, स्तनपान को उचित पूरक आहार के साथ जारी रखना चाहिए।
" स्तनपान के छुड़ाने के बदले दिया गया आहार " शब्द का उपयोग नहीं कर के "पूरक आहार" शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए।

पूरक भोजन कैसा होना चाहिए:

  1. समय पर - मतलब है कि ये तब दिए जाते हैं जब ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है जो केवल स्तनपान के माध्यम से प्रदान नहीं की जा सकती है।
  2. पर्याप्त- अर्थ यह है कि वे बढ़ते बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा, प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
  3. सुरक्षित- अर्थ है कि वे स्वच्छ रूप से तैयार और संग्रहीत हैं, साफ हाथों और बर्तनों का उपयोग करके खिलाया जाता है, न की बोतल से।

पूरक भोजन का घनत्त्व: -

  1. स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों से बने समरूप खाद्य पदार्थों को उचित रूप से गाढे पूरक खाद्य पदार्थ के रूप में शिशुओं को छह महीने पुरे करने के बाद खिलाना चाहिए, जबकि इसके साथ ही स्तनपान भी जारी रखना चाहिए। यह मानक और सार्वभौमिक अभ्यास होना चाहिए। इस अवधि के दौरान स्तनपान को सक्रिय रूप से निरंतर दिया जाना चाहिए और इसलिए " स्तनपान को छुड़ाने के बदले दिया गया आहार " शब्द का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  2. एक छोटे आकार का पेट एक समय में सीमित मात्रा में भोजन समायोजित कर सकता हैं, अतः प्रत्येक भोजन को चीनी / गुड़ / घी / मक्खन / तेल जोड़कर ऊर्जा घना बनाया जाना चाहिए। कम भोजन से अधिक कैलोरी प्रदान करने के लिए, भोजन गाढ़ा होना चाहिए - जैसे की चम्मच को थोड़ा झुकाने पर भोजन गिरना नहीं चाहिए।
  3. खाद्य पदार्थों का घनत्त्व बच्चे को चबाने और निगलने में उपयुक्त होना चाहिए। खाद्य पदार्थ जो श्वसन मार्ग में अवरोध पैदा कर सकते हैं, उसे नहीं दिया जाना चाहिए । लगभग 9 से 10 महीनों तक ढेलेदार या दानेदार खाद्य पदार्थों और ज्यादा से ज्यादा स्वाद दे दिया जाना चाहिए। खाद्य-पदार्थों की पहचान न होने के कारण बढ़ती उम्र में खाने से इंकार कर सकते है l मिक्सर / ग्राइंडर का उपयोग करके अर्थ-ठोस/द्रव्य(पीसा हुआ) भोजन निस्र्त्साहित किया जाना चाहिए।

पोषणयुक्त पूरक आहार: -

  1. किण्वित दलिया, अंकुरण या अंकुरित आटा और पीसने से पहले अनाज को सेकने से एक समृद्ध आहार बनाया जा सकता है।
  2. तीन मुख्य भोजन के बीच एक से दो पौष्टिक नाश्ता से कुल ऊर्जा की आपूर्ति का सेवन सुनिश्चित किया जा सकता है। नाश्ता भोजन के अतिरिक्त होते हैं और भोजन को प्रतिस्थापित नहीं करते। चॉकलेट, चिप्स या अन्य प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ को नाश्ता नहीं माना जाता।
  3. भोजन माता-पिता को मुख्य रूप से घर में बने (क्योंकि ये ताजा, स्वच्छ और सस्ते होते है ) देने चाहिए जिसमें अनाज-दाल का मिश्रण शामिल हो और उन्हें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध उत्पादों के साथ कैलोरी और पोषक तत्वों से भरपूर बनाए जाना चाहिए।
  4. शोध में बोतल से दूध पिलाने के नुकसान साबित हुए हैं। इसलिए सभी स्तरों पर बोतल से दूध पिलाने को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
  5. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों की खाद्य संरचना के आधार पर पूरक आहार के लिए जनसंख्या-विशिष्ट आहार दिशानिर्देश विकसित किए जाने चाहिए। उपयुक्त, स्वीकार्य और परिहार्य खाद्य पदार्थों की सूची तैयार की जा सकती है।
  6. लौह- मिश्रित भोजन, आयोडीन युक्त नमक, विटामिन ए से समृद्ध भोजन आदि को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  7. भोजन एक "संतुलित आहार " होना चाहिए जिसमें विभिन्न मिश्रणो में यथासंभव विविध खाद्य समूह शामिल हों। जैसे ही बच्चे घर में बने पूरक आहार में रुचि दिखाने लगते हैं, एक-एक करके नए खाद्य पदार्थों को शामिल करते हुए विविधता बढ़ाई जानी चाहिए। आसानी से उपलब्ध, लागत प्रभावी, मौसमी फल, हरे और अन्य गहरे रंग की सब्जियां, दूध और दूध से बने उत्पाद, दालें / फलियां, पशु खाद्य पदार्थ, तेल / मक्खन, चीनी / गुड़ को पूरक आहार में धीरे-धीरे जोड़ा जा सकता है।

अस्वास्थ्यकारक आहार :-

  1. अस्वास्थ्यकारक और, बाजार से तैयार, संसाधित भोजन, उदहारण:- टिन वाले खाद्य पदार्थ / जूस, कोल्ड-ड्रिंक्स, चॉकलेट, चिप्स, हेल्थ ड्रिंक, बेकरी उत्पाद आदि से बचना चाहिए l
  2. कम पौष्टिक मूल्य वाले पेय, जैसे कि चाय, कॉफी और शर्करा युक्त पेय भी नही देना चाहिए।

सुरक्षित पूरक आहार: -

  1. खाद्य सुरक्षा के लिए सभी चरणो तैयारी, भंडारण और खिलाने के दौरान स्वास्थ्य सम्बन्धी अभ्यास आवश्यक है। गर्मी के दिनों में ताज़ा पका हुआ खाना एक से दो घंटे के भीतर अगर हम फ्रीज में नहीं रखते है, तो खिला देना चाहिए, ।
  2. महत्वपूर्ण समय शौचालय का उपयोग करने के बाद, भोजन तैयार करने और खिलाने के पहले साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए। बड़े बच्चे को भी शौचालय का उपयोग करने के बाद और खिलाने से पहले और बाद में हाथ धोना चाहिए।

उत्तरदायी आहार: -

  1. उत्तरदायी आहार के अभ्यास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। छोटे बच्चों और उनके खाद्य पदार्थों की प्रशंसा करके आहार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। खाना गिराने के बावजूद खुद से खाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  2. प्रत्येक बच्चे को व्यक्तिगत पहचान विकसित करने के लिए एक अलग प्लेट में देखरेख में खिलाया जाना चाहिए।
  3. जबरदस्ती खिलाना, धमकी और सजा देना उचित भोजन की आदतों के विकास में बाधा डालते है।
  4. स्तनपान और पूरक आहार के साथ-साथ माँ और देखभाल करने वाले को बचपन की विकास सुनिश्चित करने के लिए आयु-उपयुक्त खेल और बातों के माध्यम से बच्चे का मानसिक-सामाजिक विकास सुनिश्चित करना चाहिए।

भोजन का विवरण; बनावट, आवृत्ति और औसत मात्रा सहित नीचे दी गई तालिका में विस्तृत की गई है।

उम्र (महीने में) हर दिन की ऊर्जा आवश्यकता (स्तनपान के आलावा WHO आधारित) बनावट कितने बार एक आहार की औसत मात्रा आवश्यक आयरन (मिली ग्राम /दिन) मूल आयरन (आहार की मात्रा को ध्यान में रखते हुए)/एक दिन के हिसाब से आहार में सम्मिलित आयरन का अंतर(मिली ग्राम /दिन) हरी सब्जियों की मात्रा (बनाने के बाद आहार में सम्मिलित करना)(ग्राम/दिन)2
6-8 200 गाढ़ी खिचड़ी से शुरुआत करे, अच्छी तरह से सना हुआ आहार दे| स्तनपान के साथ 2-3 बार खाना और 1-2 बार नाश्ता दे| 2-3 चम्मच से शुरुआत करके 250 ml के कप से आधा कप तक दे| 5 1-2 मिली ग्राम 3-4 25
9-11 300 अच्छे से बारीक़ कटा हुआ या सना हुआ आहार जो बच्चा आसानी से खा सके| स्तनपान के साथ 3-4 बार खाना और 1-2 बार नाश्ता दे| 250 ml के कप से आधा कप तक दे| 5 2-2.5 मिली ग्राम 2.5-3 25
12-23 550 घर में सभी के द्वारा खाया जानेवाला खाना बारीक कटे हुए या सने हुए रूप में देना| स्तनपान के साथ 3-4 बार खाना और 1-2 बार नाश्ता दे| तीन चौथाई से एक पूरा कप 250 ml का दे| 9 2.5-3.5मिली ग्राम 5.5-6.5 40

तालिका को ऊर्जा की आवश्यकता के आधार पर उपयोग में लाना चाहिए। पता लगाएँ कि पूरक खाद्य पदार्थों की ऊर्जा कितनी है और आपके बच्चो की परिस्थिति अनुसार क्या है और तदनुसार तालिका का उपयोग करे।

  1. लोहे की आवश्यकता अनाज- दलहन आधारित आहार से 5% जैव-उपलब्धता पर आधारित है।
  2. हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे चौलाई साग / दांटू, पालक, शलगम का साग, पुदीना और थोड़ी मात्रा में निम्बू और इमली को रोज़ाना आहार में शामिल किया जाना चाहिए । ये लोहे की मात्रा को बच्चे की शरीर में प्रदान करने में सहायक होते है।

ये व्यापक दिशा-निर्देश हैं। व्यंजनों को स्थानीय रीति-रिवाजों के आधार पर अनुकूलित किया जाना चाहिए।

अगर बच्चे को स्तनपान नहीं कराया जाता है,

ऊपर के तालिका के अलावा: प्रति दिन 1-2 कप दूध, और प्रति दिन 1-2 अतिरिक्त भोजन दें । भोजन की ऊर्जा घनत्व लगभग 0.8 से 1.0 0.6 kcal / g होने पर तालिका में शामिल भोजन की मात्रा की सलाह दी जाती है। यदि भोजन का ऊर्जा घनत्व लगभग 0.6 kcal / g है, तो माँ को भोजन की ऊर्जा घनत्व ( विशेष खाद्य पदार्थों को जोड़ के) बढ़ाना चाहिए या भोजन की मात्रा बढ़ानी चाहिए। उदाहरण के लिए :

  1. - 6 से 8 महीने तक, धीरे-धीरे दो तिहाई कप तक बढ़ाएं l
  2. - 9 से 11 महीने तक तीन चौथाई कप दें l
  3. - 12 से 23 महीने के लिए, एक पूर्ण कप दें।

आहार की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अतिरिक्त सुझाव:

  1. पूरक अनाज जिसमें चावल/ पोहा / गेहूँ और भुने हुए चने का दाल / सोयाबीन / चने का संयोजन होता है, ये अन्य अनाज की तुलना में लोहे के ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाता है, क्योंकि दाल में लोहे की मात्रा अधिक होती है और मिश्रण लोहे को अवशोषित करने में मदद करता है और ।
  2. अनाज और दालों को भिगोना, अंकुरित करना उनकी फाइटेट की मात्रा को लगभग आधा कर देता है । ऐसा करने के लिए, अनाज को रात भर भिगोएँ, और फिर 1-2 दिनों के लिए एक साफ गीले कपड़े में रखें। अंकुरण के बाद, अनाज को हल्के से भुने और खाना पकाने के लिए पाउडर बना के उपयोग करे ।

फल और लौह अवशोषण

यदि स्थानीय रूप से उपलब्ध फल जैसे कि अमरूद (1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में), पपीता, मुसम्बी, नारंगी, और एस्कॉर्बिक एसिड से भरपूर ताज़ा फलो को सान के भोजन के साथ में प्रदान किया जाता है, तो यह लोहे के अवशोषण को बढ़ाता है ।

लौह आपूर्ति

लोहे को पूरक तत्त्व औषधि के रूप में दिया जाना है, तो यह भोजन के बाद सबसे अच्छा होता है। ऐसा करने से प्रतिकूल असर के जोखिम को कम करता है। भोजन के बाद लिए गए लोहे की जैवउपलब्धता में सुधार करने के लिए, अनाज का उपयोग करें जो लोहे के अवशोषण के लिए कम निरोधात्मक हैं। इस उद्देश्य के लिए, चावल सबसे तटस्थ है, इसके बाद गेहूं और अंत में बाजरा। कम निरोधात्मक प्रभाव वाले अनाज के रूप में चावल आधारित पूरक खाद्य पदार्थ एक उदाहरण हैं: अनाज:दाल के साथ चावल:भुना हुआ चना या चावल :अंकुरित या भुना हुआ मूँग। ये मिश्रण छोटे बच्चों के लिए चावल की खिचड़ी या चावल पोंगल या इडली जैसे स्थानीय व्यंजनों में बनाया जा सकता है। बड़े बच्चों के लिए, कुचल मूंगफली के साथ पोहा भी दिया जा सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यहां सूचीबद्ध खाद्य पदार्थ विशेष रूप से उस दिन के लिए हैं जिस दिन लोहा दिया जाता है।