प्रसव के तुरंत बाद, बच्चे को माँ के पेट पर रखा जाना चाहिए जिससे माँ और बच्चे के संबंध और स्तनपान कराने को बढ़ावा मिलता है। जन्म के तुरंत बाद अधिमानतः 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू किया जाना चाहिए । कोई अन्य तरल पदार्थ/ दूध पाउडर नहीं दिया जाना चाहिए। केवल कोलोस्ट्रम से शुरू करें। अन्य तरल पदार्थ शिशु में संक्रमण और एक सफल स्तनपान कराने में भी समस्याओं का कारण बनती है। नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम पहला टीकाकरण है क्योंकि यह नवजात शिशुओं को संक्रमण से बचाने वाले कारकों और विटामिन ए से भी भरपूर होता है। कोलोस्ट्रम नवजात शिशु की आंत को साफ करने में मदद करता है जो उनमे पीलिया को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
माताओं और शिशुओं को 24 घंटे एक साथ रखें जाना चाहिए । माँ और बच्चे को एक ही खाट पर रखें। बच्चे के लिए अलग खाट की जरूरत नहीं है। माँ को ३० का कोण बनाकर लेटे हुए अवस्था में बच्चे को पेट पर रखना चाहिए। ये सभी तकनीक मातृ-शिशु संबंधों को बढ़ाता है ।
स्तनपान एक निष्क्रिय प्रक्रिया नहीं है । बच्चे को मातृ गर्मी, संपर्क और गले लगने का आनंद मिलता है। स्तनपान के दौरान मां को सक्रिय रूप से बातचीत और बच्चे की ओर देखना चाहिए। स्तनपान करते समय उसे टेलीविजन और मोबाइल देखने से बचना चाहिए। पहले कुछ दिनों के दौरान, अधिकांश बच्चे कुछ देर चूसने के बाद सो जाते हैं। उन्हें कान के पीछे या तलवों पर कोमल गुदगुदी लगाना चाहिए। अधिकांश शिशुओं को पर्याप्त स्तनपान लेने में १५ से 20 मिनट लगता है। बच्चे को एक तरफ का स्तनपान दूध पूरी तरह से ख़तम करने के बाद दूसरे स्तन में लगाना चाहिए। अगले स्तनपान में पहले जिस तरफ के स्तन में कम या नहीं लगाया गया है, उस स्तन में पहले लगाना चाहिए।