टेलीमेडिसिन (दूरचिकित्सा)

टेलीमेडिसिन(दूरचिकित्सा)

'स्वास्थ्य सेवा, जहां दूरी एक महत्वपूर्ण वादक है, वहां स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करके रोग का निदान करने के लिए जरूरी सुचना का आदान-प्रदान करना,रोग की रोक थाम और उपचार करना,अनुसन्धान और स्वास्थ्य कार्यकर्ता ओंको शिक्षा प्रदान करना तथा उनके परिसर के लोगो के अच्छे स्वास्थ्य के लिए काम करना है। इसे ही टेली मेडिसिन कहते है।

टेली-स्वास्थ्य

दूरसंचार और डिजिटल संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से चिकित्सा संबंधी देख भाल,रोगी कोशिक्षा, स्वास्थ्य सूचना और स्वास्थ्य देखभाल और स्वास्थ्यसं बंधी सेवा ओंकी डिलीवरी और सुविधा कोटेली -स्वास्थ्य कहते है।

प्रौद्योगिकी का उपयोग और संचार का तरीका: -

दूर चिकित्सा परामर्श देने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जासकता है।

मुख्य ३ प्रणाली हैं:

वीडियो, ऑडियोयाटेक्स्ट (चैट, मैसेजिंग, ईमेल, फैक्सआदि)।इनमें से प्रत्येक प्रौद्योगि की प्रणाली की अपनी ताकत, कमजोरियां और संदर्भ हैं, जिसमें, उचित निदान देने के लिए वे उपयुक्त या अपर्याप्त हो सकते हैं। इस लिए यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्नत कनीकों की सीमाओं के साथ-साथ शक्तियों, लाभों को भी समझा जाए। टेलीमेडिसिन परामर्श, डॉक्टर को संक्रामक स्थितियों से सुरक्षा प्रदान करता है,हालांकि यह शारीरिक परीक्षाकोप् रति स्थापित नहीं कर सकता है जिसके लिए शारीरिक स्पर्श और आला सेसुन ने की आवश्यकता होती है। नई तकनी कें इस खामी को सुधार सकती हैं।

संचार के विभिन्न तरीकों की ताकत और सीमाएं

प्रणाली लाभ सीमाएं
वीडियो: - टेलीमेडिसिन सुविधा, ऐप, चैट प्लेटफार्मों पर वीडियो, फेसटाइम, आदि
  1. व्यक्ति-परामर्श, वास्तविक समय में बातचीत
  2. रोगी की पहचान आसान है
  3. डॉक्टर रोगी को देख सकते हैं और देखभाल करने वाले के साथ बातचीत कर सकते हैं
  4. रोगी को देखने से रोग पता चल सकता है
  5. रोगी का निरीक्षण किया जा सकता है
  1. दोनों सिरों पर उच्च गुणवत्ता के इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता पर निर्भर है, अन्यथा सूचनाओं के आदान-प्रदान उच्चतम नहीं हो सकता
  2. चूंकि दुरुपयोग की संभावना है, इसलिए वीडियो कॉन्सुलेट में मरीजों की गोपनीयता सुनिश्चित करना अत्यंतमहत्वपूर्ण है
ऑडियो: फ़ोन, एप्लिकेशन आदि
  1. सुविधाजनक और तेज
  2. असीमित पहुंच
  3. तत्काल मामलों के लिए उपयुक्त है
  4. कोई अलग संरचना की आवश्यकता नहीं है
  5. गोपनीयता कीसुनिश्चितता
  6. वास्तविक समय बातचीत।
  1. गैर-मौखिक संकेत छूट सकते हैं
  2. उन स्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं है जिनके लिए दृश्य निरीक्षण की आवश्यकता होती है (जैसे त्वचा, आंख या जीभ की जांच),
  3. डॉक्टर और रोगी की पहचान विश्वासजनक नहीं हो पाती है|
लिखित आधारित: विशिष्ट चैट आधारित टेलीमेडिसिन स्मार्टफ़ोन ऐप, एसएमएस, वेबसाइट, मैसेजिंग सिस्टम उदहारण:- व्हाट्सएप, गूगल हैंगआउट, एफबी मैसेंजर
  1. सुविधाजनक और तुरंत
  2. किसी विशिस्ट मंच की आवश्यकता नहीं होती है|
  3. फोटो, रिपोर्ट, डेटा आसानी से आदान-प्रदान कर सकते है|
  4. कोई अलग बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं होती है|
  5. ज्यादा उपयोग जनक तब होता है, जब टेस्ट रिपोर्ट को भेजकर मरीज बातचीत करे या फिर फॉलो- अप के लिए इस माध्यम का प्रयोग करे या फिर दूसरी सलाह लेना हो|
  1. वास्तविक कल पर आधारित नहीं होता, सिर्फ एक ही तरह से प्रसंग जुड़ा होता है।
  2. रोगी के साथ तालमेल स्थापित करने में कठिनाई।
  3. डॉक्टर या रोगी की पहचान सुनिश्चित नहीं की जा सकती है।
  1. असिंक्रोनोस : ईमेल फैक्स, रिकॉर्डिंग आदि।
  1. सुविधाजनक और दस्तावेज़ के लिए आसान है।
  2. कोई विशिष्ट एप्लिकेशन या डाउनलोड की आवश्यकता नहीं है।
  3. चित्र, डेटा, रिपोर्ट आसानी से भेज सकते है।
  4. कोई अलग संरचनानहीं है।
  5. अधिक उपयोगी जब परीक्षण रिपोर्ट के साथ और दूसरी राय लेने के लिए।
  1. वास्तविक समय पर बातचीत नहीं है, इसलिए केवल एक तरफ़ा संदर्भ उपलब्ध है, केवल रोगी द्वारा व्यक्त किए गए बातो पर निर्भर करता है।
  2. रोगी पहचान केवल दस्तावेज आधारित है और पुष्टि करना मुश्किल है।
  3. गैर-मौखिक संकेत नहीं मिल पता है।
  4. डॉक्टर मेल को नहीं देखने से देरी हो सकती है।

टेलीमेडिसिनकेलाभ :-

  1. यह तेजी से सेवाओं तक पहुंच तथा समय पर उचित हस्त क्षेप बढ़ाता है जो अन्यथा उपलब्ध नहीं हो सकता है।
  2. विशेष रूप से ग्रामीण रोगियों की लागत और प्रयास की बचत, क्योंकि उन्हें परामर्श और उपचार प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. यह परिवार और देख भाल करने वालों को होने वाली असुविधा को भी कम करता है। टेलीमेडिसिन उन मामलों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जहां शारीरिक रूप से डॉक्टर रोगी को देखने की आवश्यकता नहीं होती है, उदहारण:-नियमित जांच या निगरानी के लिए।
  4. टेलीमेडिसिन अस्पतालों पर बोझक मकर सकता है।
  5. टेलीमेडिसिन के साथ, रिपोर्ट और दस्तावेज़ी करण के रखरखाव की उच्च संभावना हो जाती है इसलिए डॉक्टर और स्वास्थ्य देख भाल कर्मचारियों से सलाह लेने की संभावना बढ़ जाती है।
  6. डॉक्टर के पासटेली-परामर्श के माध्यम से प्रदान की गई सलाह का सटीकप्र लेख न होता है। लिखितप्र लेखन दोनों पक्षों की कानूनी सुरक्षा को बढ़ाता है।
  7. टेलीमेडिसिन रोगी की सुरक्षा के साथ - साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करता है, खास कर उन स्थितियों में जहां संक्रामक संक्रमण का खतरा होता है। ऐसी कई प्रौद्योगि कियां हैं जिनका उपयोग टेलीमेडिसिन में किया जा सकता है, जोरोगियों को उनकी दवा का बेहतर पालन करने और उनकी बीमारियों का बेहतर प्रबंधन कर ने में मदद कर सकता है।
  8. आप दाएं और महामारियां स्वास्थ्य देख भाल प्रदान करने के लिए चुनौतियां पेश करती हैं। हालांकि टेलीमेडिसिन उनस भी कोहल नहीं करती, यह उन परिदृश्यों के लिए उपयुक्त है जिसमें चिकित्सक रोगियों का मूल्यांकन और प्रबंधन कर सकते हैं।
  9. भारत की डिजिटल स्वास्थ्य नीति स्वास्थ्य देख भाल प्रणाली की दक्षता और परिणाम में सुधार के लिए डिजिटल उपकरणों के उपयोग की समर्थक है और टेलीमेडिसिन सेवाओं के उपयोग पर महत्वपूर्ण ध्यान देती है, विशेष रूप से जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य और कल्याण कें द्रोंमें जहां एक मध्य-स्तर प्रदाता/ स्वास्थ्य कार्य कर्ता समय पर और सर्वोत्त मसं भव देखभाल प्रदान करने में रोगियों को प्रौद्योगिकी प्लेट फार्मों के माध्यम से डॉक्टरों से जोड़ सकते हैं।

तत्काल सहायता या प्राथमिक चिकित्सा आदि के लिए आपातकाली न परा मर्श।

  1. यदि वैकल्पिक देखभाल सुलभ नहीं है, तो समय पर देखभा लप्रदान करने का एक मात्र तरीका टेलीपरामर्श हो सकता है।ऐसी स्थितियों में, डॉक्टर अपने सर्वोत्तम निर्णय के लिए परामर्श प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, आपात काली न देखभाल के लिए टेलीमेडिसिन सेवाओं से बचना चाहिए, जब वैकल्पिक व्यक्तिगत देखभाल उपलब्ध हो ।टेलीमेडिसिन परामर्श प्राथमिक चिकित्सा, जीवन रक्षक उपाय, परामर्श और रेफरल सलाह तक सीमित होना चाहिए।
  2. आपातकालीन स्थिति के सभी मामलों में, रोगी को जल्द से जल्द एक डॉक्टर के साथ व्यक्तिगत रूप से मिलने की सलाह दीजानी चाहिए।