हाथ धोना

हाथ धोना

भारत में होनेवाली 33% नवजातों की मृत्यु संक्रमण के कारण होती है।

हाथ धोना स्वयं को और अपने नवजात शिशुओं को संक्रमण होने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है।

बच्चे के देखभाल करनेवालों को कब हाथ धोना चाहिए ?

आप अपने हाथों को बार-बार धोकर नवजात शिशुओं को संक्रमण होने से रोक सकते हैं, विशेषकर महत्वपूर्ण समय के दौरान जब आप को संक्रमित होने और संक्रमण फैलने की अधिक संभावना होती है जैसे की,

  •   खाना पकाने के दौरान और बाद में।
  •   खाना खाने से पहले।
  •   बीमार हुए व्यक्ति को संभालने के पहले और बाद में।
  •   एक घाव को साफ़ करने के पहले और बाद में।
  •   शौचालय का इस्तेमाल करने के बाद।
  •   बच्चे का डायपर बदलने के बाद या बच्चे का शौचालय साफ़ करने के बाद में।
  •   नाक साफ़ करने, छींकने या खांसने के बाद में।
  •   जानवरों को छूने के बाद में।
  •   कचरा फेकने के बाद में।

हाथ धोने के 8 चरण :-

जब आप साबुन और पानी का उपयोग नहीं कर सकते, तो आप सेनिटाइज़र का प्रयोग करे

साबुन और पानी से हाथ धोना अधिकांश स्थितियों में संक्रमण से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका है।यदि साबुन और पानी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, तो एक अल्कोहल – आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग कर सकते हैं जिसमें कम से कम 60% अल्कोहल हो। कई परिस्थितियों में सेनिटाइज़र कीटाणुओं को तेजी से कम करता है।

लेकिन

  •   सैनिटाइज़र सभी प्रकार के कीटाणुओं को नहीं रोकता है l
  •   हैंड सैनिटाइज़र उतने प्रभावी नहीं हो सकते हैं जब हाथ स्पष्ट रूप से गंदे या चिकना हो ।
  •   हैंड सैनिटाइज़र कीटनाशकों और भारी धातुओं जैसे हानिकारक रसायनों को दूर नहीं कर सकते हैं।

सैनिटाइज़र का प्रयोग कैसे करें: -

  •   एक हाथ की हथेली में उपयुकक़्त मात्रा में सैनिटाइज़र रखे।
  •   अपना हाथ एक साथ मले।
  •   अपने हाथों और उंगलियों की सतहों पर जेल को तब तक रगड़ें जब तक कि आपके हाथ सूख न जाएं। इसमें लगभग 20 सेकंड का समय लगता है।