हर साल वैश्विक स्तर पर जन्म लेने वाले 2 करोड़ कम वजन के शिशुओं में से लगभग 80 लाख भारत में जन्म लेते है। भारत में कुल नवजात शिशुओं की मृत्यु में से 80% से अधिक मृत्यु कम वजन के शिशुओं की होती है - 65% समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में और 19% गर्भकालीन उम्र के हिसाब से कम वजन वाले शिशुओं में, (Lawn Every Newborn Lancet Series 2014)। भारत में समय से पहले जन्म लेने वाले नवजात शिशु की संख्या सबसे अधिक है और इन की मृत्यु की अधिकतम संख्या भी भारत में ही है। भारत में कम वजन (लो बर्थ वेट) का अनुपात कुल जीवित जन्मों का लगभग 30% है।
कंगारू मदर केयर (के.एम.सी.) कम वजन के शिशुओं के लिए देखभाल की एक सरल विधि है|जिसमें मां के साथ या अन्य देखभाल करनेवाला लंबे समय तक त्वचा से संपर्क में रखा जाता है| इसमें बार-बार स्तनपान करना भी आवश्यक होता है। कंगारू मदर केयर एक कम संसाधन, साक्ष्य आधारित, उच्च प्रभाव वाला और जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं के लिए प्रभावकारी देखभाल है, जो स्तनपान की तरह, नियमित देखभाल का हिस्सा होना चाहिए। के.एम.सी. <2000g ((Lawn et al, 2010) वजन वाले शिशुओं में होने वाली सभी मृत्यु में से आधे तक को रोक सकती है। जन्म के वक़्त, कम वजन के शिशुओं के लिए मानक देखभाल अभ्यास के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन के.एम.सी. के उपयोग की वकालत करता है।
कंगारू ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक जानवर है। वह हमेशा समय से पहले बच्चे को जन्म देती है। समय से पहले जन्मा, बच्चा कंगारू अपनी मां की थैली में रहता है, जहां उसे गर्माहट और विशेष स्तनपान मिलता है, जब तक कि वह बाहर जीवित रहने के लिए पर्याप्त परिपक्व न हो जाए।
<2,500 ग्राम से कम वजन के शिशुओं के लिए के.एम.सी. शुरू करें जितनी जल्दी हो सके।
के.एम.सी. की अवधि | |
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कम | रोजाना 4 घंटे |
विस्तारित | रोजाना 5-8 घंटे |
लंबा | रोजाना 9-12 घंटे |
निरंतर | प्रतिदिन 12 घंटे से अधिक |
के.एम.सी., गर्भाशय के वातावरण का अनुकरण करता है और शारीरिक स्थिरता की सुविधा देता है। यह विकास का सबसे समग्र रूप है जो की सहायक देखभाल प्रदान करने वाला मल्टीमॉडल उत्तेजना जो सभी छह इंद्रियां को सही तरीके से संतुष्ट करता है।
कंगारू मदर केयर के लाभ | ||
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नवजात काल में लाभ | माँ के फायदे | नवजात और बचपन में लाभ |
मृत्यु दर में कमी | आत्मविश्वास में वृद्धि,संतुष्टि | विकास |
कम अल्पताप | बेहतर संबंध | दिमाग का विकास |
शारीरिक स्थिरता | सशक्तिकरण | बुद्धिमत्ता में वृद्धि |
कम साँस रुकना,कम रोना | स्तन के दूध निर्माण में वृद्धि | बेहतर कार्यकारी क्षमता |
अस्पताल में रहने से होनेवाले संक्रमण में कमी | अस्पताल से जल्दी छुट्टी | शारीरिक संगठन |
दर्द में कमी | कम तनाव | कम तनाव |
नींद में सुधार | कम प्रसवोत्तर अवसाद | बेहतर अभिभावक-शिशु संपर्क |
विकास में सुधार | ||
स्तनपान में सुधार |
अक्सर एक शिशु को कंगारू मदर केयर से निकाल लिया जाता है जब गर्भकाल समाप्त हो या वजन लगभग 2,500 ग्राम हो। इस समय तक शिशु यह दिखाना शुरू कर देता है कि वह असहज है या नहीं, तब शिशु कंगारू परिधान से अंगों को बाहरनिकालता है और रोता है जब माँ शिशु को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाने की कोशिश करती है। यह के.एम.सी. से शिशु को छुड़ाने का समय है।